ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नमः


ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नमः
ॐ दिगंबराय विद्महे योगीश्‍राय् धीमही तन्नो दत: प्रचोदयात्,,ॐ ऐं क्रों क्‍लीं क्‍लूं ह्रां ह्रीं ह्रूं सौ:ॐ द्रां दत्तात्रेयाय स्वाहा ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नमः दत्तात्रेय मंत्रों को बोलने से कोई बिगाड़ नहीं पाता काम,,हिन्दू धर्म में महायोगी व महागुरु के रूप में पूजनीय त्रिदेव स्वरूप माने गए भगवान दत्तात्रेय ज्ञान के जरिए जीवन की सफलता की प्रेरणा देते हैं। धार्मिक दृष्टि से दत्तात्रेय की उपासना ज्ञान, बुद्धि, बल प्रदान करने के साथ शत्रु बाधा दूर कर कार्य में सफलता और मनचाहे परिणामों को देने वाली मानी गई है।
धार्मिक मान्यता है कि भगवान दत्तात्रेय भक्त की पुकार पर शीघ्र प्रसन्न होकर किसी भी रूप में उसकी कामनापूर्ति या संकटनाश करते हैं। यही कारण है कि गुरु भक्ति के दिन गुरुवार की शाम भगवान दत्त की उपासना में विशेष मंत्र का स्मरण बहुत ही शुभ माना गया है। जानिए वे मंत्र व पूजा की सरल विधि -
- गुरुवार की शाम दत्त मंदिर भगवान दत्तात्रेय की प्रतिमा या दत्तात्रेय की तस्वीर पर सफेद चंदन और सुगंधित सफेल फूल चढ़ाकर फल या मिठाई का भोग लगाएं। गुग्गल धूप लगाएं और नीचे लिखे मंत्र से भगवान दत्तात्रेय का स्मरण करें या यथाशक्ति मंत्र जप करें -,,हिंदू धर्म के त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश की प्रचलित विचारधारा के विलय के लिए ही भगवान दत्तात्रेय ने जन्म लिया था, इसीलिए उन्हें त्रिदेव का स्वरूप भी कहा जाता है। दत्तात्रेय को शैवपंथी शिव का अवतार और वैष्णवपंथी विष्णु का अंशावतार मानते हैं। दत्तात्रेय को नाथ संप्रदाय की नवनाथ परंपरा का भी अग्रज माना है। यह भी मान्यता है कि रसेश्वर संप्रदाय के प्रवर्तक भी दत्तात्रेय थे। भगवान दत्तात्रेय से वेद और तंत्र मार्ग का विलय कर एक ही संप्रदाय निर्मित किया था।,दत्तविद्याठ्य लक्ष्मीशं दत्तस्वात्म स्वरूपिणे।गुणनिर्गुण रूपाय दत्तात्रेय नमोस्तुते।।,,या इस मंत्र का जप करें -,ॐ द्रां दत्तात्रेयाय स्वाहा- पूजा व मंत्र जप के बाद आरती करें और सफलता और कामनापूर्ति की प्रार्थना करें।

 

Dattatreya Mantra Mool Beej Mantra

ॐ गुरु दत्ता नमो नमः ||

Om Guru Datta Namo Namaha ||

Dattatreya Mala Mantra

दत्‍तात्रेय हरे कृष्‍ण उन्‍मत्‍तानन्‍ददायक
दिगंबर मुने बाल पिशाच ज्ञानसागर ||

Dattatreya Hare Krushna unmattananddayak
Digambar mune ba| pishach gyansagar ||

Om HareemParambrahram Parmaatmane Hari Harbrahyendraya Dattatroyaye Swaha||

Dattatreya Vedic Mantra

ॐ आं ह्रीं क्रों एहि दत्‍तात्रेयाय स्‍वाहा ||

Om Aaam Hreem Krom Ehi Dattatreya Swaaha ||

ॐ ऐं क्रों क्‍लीं क्‍लूं ह्रां ह्रीं ह्रूं सौ: दत्‍तात्रेयाय स्‍वाहा ||

Om aim krom k|im k|um rham rhim rhum souhou Dattatreyay Swaaha ||

Datta Gayatri Mantras Hindi Lyrics

ॐ द्रां ह्रीं क्रो ॐ दत्तात्रेया विद्महे
योगीश्‍राय् धीमही तन्नो दत: प्रचोदयात् ||

ॐ दिगंबराय विद्महे योगीश्‍राय् धीमही
तन्नो दत: प्रचोदयात् ||

ॐ दत्तात्रेया विद्महे ,
दिगंबराय धीमही तन्नो दत: प्रचोदयात् ||

ॐ दत्‍तात्रेयाय विद्महे
अवधूताय धीमहि तन्‍नो दत्‍त: प्रचोदयात्‌ ||

ॐ दत्‍तात्रेयाय विद्महे |
अत्री पुत्राय धीमहि तन्‍नो दत्‍त: प्रचोदयात्‌ ||

हा एक अत्यंत चमत्कारी मंत्र आहे. श्रीदत्तात्रेयोपनिषदातील दत्तमाला मंत्र हा जवळपास सर्व दत्तभक्तांना अतिशय प्रिय व सुपरिचित आहे. काही गुढ बीजमंत्र व शब्द यांची अतिशय उत्तम सांगड घालून हा मंत्र बनविलेला असुन, तो स्तोत्रासारखा दिसत असला तरी एक सबंध मंत्र आहे. म्हणजे यातील "ॐ नमो भगवते दत्तात्रेयाय....पासुन सुरुवात करुन...ॐ नमो महासिध्दाय स्वाहा।" हा एक पूर्ण मंत्र आहे. संपूर्ण दत्तमाला मंत्राची आवर्तने करुन दत्तपादुकांवर अभिषेक करण्याची परंपरा दत्तसंप्रदायात आहे. श्रीदत्तात्रेय हे दैवत वरवर पहाता वैराग्यदर्शक, नि:संग व अलिप्त असले तरी सामान्य संसारी जनांना व्यवहारिक अडिअडचणी, विवंचना, अनारोग्य, तणाव व नकारात्मकता यांचे परिणाम कमी होण्यासाठी "श्रीदत्तमाला मंत्र" अतिशय उपयुक्त व प्रभावी ठरतो....व्यक्तिश: मला स्वत:ला व मी ज्योतिष मार्गदर्शनाच्या माध्यमातून ज्यांना ज्यांना उपासना करण्यासाठी हा मंत्र देतो त्यांना या मंत्राचे खुप फायदे व्यवहारिक पातळीवर व आधिदैविक स्तरावरही झालेले आहेत. 

"श्रीदत्तमाला मंत्र" हा सर्वप्रथम एखाद्या शुभवारी किंवा गुरुवारी, स्नानोपरांत शुचिर्भुतपणे, पूर्वाभिमुख बसुन सलग १०८ पाठ करुन सिध्द करावा लागतो. हा अवधी तुमच्या वाचनाच्या वेगानुसार किमान तासभर ते कमाल दोनेक तास असु शकतो. लक्षात असु द्या की हे संपूर्ण स्तोत्र म्हणजेच एक (१) मंत्र असुन याची १०८ वेळा आवर्तने करावयाची आहेत म्हणजे १०८ वेळा हा मंत्र वाचावयाचा आहे. हे वाचन सुरु असताना मध्येच उठणे, बोलणे, खाणाखूणा करणे, फोन घेणे वगैरे गोष्टी टाळाव्यात. वाचन एकसलग करावे. मध्येच थांबून पाणी वगैरे पिऊ शकता, बसण्याअगोदरच आंघोळीपुर्वी लघुशंका वगैरे गोष्टी आटॊपुन बसावे. असे १०८ पाठ पूर्ण झाल्यावर स्तोत्र सिध्द होईल. त्यानंतर मग दररोज किमान एक ते कमाल २१ असे कितीही पाठ वाचायला हरकत नाही. आपल्यासमोरील समस्या जर अतिशय अवघड असतील तर रोज किमान २१ पाठ वाचावेच लागतील. श्रीदत्तमाला म्ंत्र हा प्रामुख्याने आर्थिक समस्या, विरोध, अनारोग्य यांच्या निवारणासाठी अत्यंत प्रभावी असा उपचार आहे. समस्या निवारणासाठी व्यवहारिक प्रयत्न आवश्यक आहेतच पण त्याजोडीने हा दैवी उपाय अवश्य करुन पहावा. 

श्रीदत्तमाला मंत्र सिध्द झाल्यानंतर काही बंधने आयुष्यभर कटाक्षाने पाळावीच लागतात ती अशी की...वर्षभरातील प्रत्येक गुरुवार, प्रत्येक पौर्णिमा (मग वार कोणताही असो), दत्तजयंती, गुरुपौर्णिमा, चैत्र व अश्विन नवरात्रातील प्रत्येकी ९  दिवस कोणत्याही स्वरुपात मांसाहार, मद्यपान करणे सदैव वर्ज्य करावेच लागते. जेव्हा जेव्हा शक्य होईल तेव्हा गोरगरिबांना, प्राणीपक्ष्यांना तुमच्या आर्थिक क्षमतेनुसार "अन्नदान" करावे. वर्षातून कोणत्याही एका दिवशी (तुमचा किंवा घरातील एखाद्याचा वाढदिवस) गरिबांना वस्त्रदान करावे, एकंदरीत सत्पात्री दाने करत रहावीत. शक्य असेल तर प्रत्येक गुरुवारी दत्तदर्शन किंवा कोणत्याही गुरुंचे दर्शन घेणे आवश्यक आहे. .... पुढे दत्तमाला मंत्र देत आहे, तो शुध्द स्वरुपातील आहे. उच्चार नीट करावा, उच्चार कठीण वाटले तर युट्युबवर लिंक शोधुन उच्चार शिकावेत, किंवा तुमच्या गुरुजींना विचारुन घ्यावे....पण श्रीदत्तमाला मंत्र आत्मसात करुन आयुष्यात सकारात्मक बदल अनुभवावा ही विनंती आहे.....

श्रीदत्तमाला मंत्र हा अत्यंत प्रभावी मंत्र आहे. सर्वासिद्धी यश, कीर्ती,आयु व आरोग्य या सर्वात यश मिळण्यासाठी  हा मंत्र जपला जातो.  हा मंत्र सिद्धी साठी सुरवातीस व अखेरीस १०८ वेळा,

ॐ द्राम दत्तात्रेयाय  नमः

हा जप  करावा  व मध्ये खालील श्री दत्तमालामंत्र १२००० वेळा जपावा म्हणजे मंत्र  सिद्ध होतो. ह्या मंत्राच्या हवानाने  दत्त यागही करतात,

॥ श्रीदत्तमाला मन्त्र ॥

।। ॐ नमो भगवते दत्तात्रेयाय, स्मरणमात्रसन्तुष्टाय,
महाभयनिवारणाय महाज्ञानप्रदाय, चिदानन्दात्मने
बालोन्मत्तपिशाचवेषाय, महायोगिने अवधूताय,
अनसूयानन्दवर्धनाय अत्रिपुत्राय, ॐ भवबन्धविमोचनाय,
आं असाध्यसाधनाय, ह्रीं सर्वविभूतिदाय,
क्रौं असाध्याकर्षणाय, ऐं वाक्प्रदाय, क्लीं जगत्रयवशीकरणाय,
सौः सर्वमनःक्षोभणाय, श्रीं महासम्पत्प्रदाय,
ग्लौं भूमण्डलाधिपत्यप्रदाय, द्रां चिरंजीविने,
वषट्वशीकुरु वशीकुरु, वौषट् आकर्षय आकर्षय,
हुं विद्वेषय विद्वेषय, फट् उच्चाटय उच्चाटय,
ठः ठः स्तम्भय स्तम्भय, खें खें मारय मारय,
नमः सम्पन्नय सम्पन्नय, स्वाहा पोषय पोषय,
परमन्त्रपरयन्त्रपरतन्त्राणि छिन्धि छिन्धि,
ग्रहान्निवारय निवारय, व्याधीन् विनाशय विनाशय,
दुःखं हर हर, दारिद्र्यं विद्रावय विद्रावय,
देहं पोषय पोषय, चित्तं तोषय तोषय,
सर्वमन्त्रस्वरूपाय, सर्वयन्त्रस्वरूपाय,
सर्वतन्त्रस्वरूपाय, सर्वपल्लवस्वरूपाय,
ॐ नमो महासिद्धाय स्वाहा ।।

 

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